unforgettable journey


ये साम कुछ अजीब थी, लम्बा सफ़र था, हम निकल पड़े अपने सफ़र में अपने गुरु से आज्ञा ले कर|
हमारा पहला पड़ाव रायपुर था, लकिन किसने जाना था ये पड़ाव इतनी जल्दी नहीं आने वाला था, हम जिनके साथ इस सफ़र में निकले थे उनकी(अलोक भैया ) गाड़ी LPG से चलती थी ये मुझे मालूम ना था करीब हम ५० km चले होंगे कि हमको गैस रिफिल करनी पड़ गयी, और रिफिल करते ही गाड़ी में प्रॉब्लम आ गयी, बाद में मालूम चला कि इंजन में कुछ खराबी आ गयी है हम और गाड़ी जहा बन सकती थी वो जगह वहा से 30 Km दूर था, वैसे हम फिर चल पड़े इस बार गाड़ी बनवाने, अभी कुछ दूर चले ही थे कि पेट्रोल ख़तम हो गया सुनसान रात थी, जगह भी अजीबोगरीब थी चारो तरफ सिर्फ पहाड़ ही पहाड़ दिख रहे थे, कोई लिफ्ट देने को तैयार ना था किसी तरह एक सज्जन ने हमारी मजबूरी को समझा और सहर तक हमको छोड़ा, बहुत बहुत सुक्रिया "जुम्मन मिया "|

खैर हम पेट्रोल ले के आ गये और मकेनिक के पास पहुच भी गये समय भी काफी हो गया था रात के ११ बज रहे थे किसी तरह से मकेनिक को मनाया गया कि देख लो भाई क्या प्रॉब्लम है, उसने चेक किया और बताया कि प्रॉब्लम इंजन में नहीं उस LPG गैस में थी जिसे हमने अभी कुछ गन्तो पहले रिफिल किया था.उसने बताया कि पूरी टंकी साफ करनी पड़ेगी और इसमें करीब २ घंटे लगेंगे, खैर हमने खाना वाना खाया पिया और पहुच गये मकेनिक के पास, गाड़ी बन के तैयार हो गयी और समय हो रहा था रात के ३ बज रहे थे और मेरी ट्रेन रायपुर से सुबह ११ बजे कि थी और मेरे पास सिर्फ ८ घंटे थे लकिन प्रॉब्लम एक और थी हमने जो गैस रिफिल किया था वो पूरी बर्बाद हो चुकी थी और जितनी गैस थी उससे हम सिर्फ १०० KM ही चल सकते थे खैर हम फिर चल पड़े अपने गंतब्य कि ओर रात में|
अभी हम कुछ दूर चले ही थे कि अलोक भाई को नींद आने लगी हमें कहा आप सो जाएये नहीं तो प्रॉब्लम हो जाएगी, जब हम नींद से जगे तो सुबह के ५ बज रहे थे और हमें अभी भी २०० KM का सफ़र तय करना था, हम चल पड़े और गैस भी ढूंढते रहे हमको गैस मिली भी तो बिलासपुर में और समय हो रहा था सुबह के १० एंड मैंने ये महसूस कर लिया था कि मेरी ट्रेन तो अब मिस हो जाएगी, फ़िलहाल मै उदास तो हो चूका था और मूड भी ख़राब हो रहा था कि हमने ट्रेन मिस कर दी और नागपुर से हैदराबाद वाली बस भी मिस करने वाला था |
किसी तरह रायपुर पहुच उस समय दिन के ३ बज रहे थे, और पहुचते ही सबसे पहले मैंने सारी ट्रेन, बसों को चेक किया कि कोन मुझे जल्दी से जल्दी हैदराबाद पंहुचा सकती है लकिन निराशा ही हाथ लगी और मालूम चला कि मै रात में ही निकल सकता था, बहरहाल मैंने अलोक जी के यहाँ लंच किया नहया थोया(भाभी ने लंच बहुत बढ़िया बनाया था और मैंने ३ घंटे में २ बार खाया, उनसे बाते कि and सब कुछ फिर से नार्मल सा हो गया था उन्लोंगों से मिलकर बहुत अच्छा लगा thank you bhabi )और थक भी बहुत गया था सो गया, साम को बस का पता किया गया कि कोन सी बस नागपुर मुझे पहुचायेगी, साम को बस से निकला स्लीपर वाली बस थी अभी ३ घंटे ही निकला था कि मालूम चला कि उस बस में भी प्रॉब्लम आ गयी है एंड वो बस अब आगे नहीं जा सकती है, किसी तरह से दूसरी बस को रोका गया और उस बस में खड़े खड़े नागपुर पंहुचा सुबह के ७ बज रहे थे, और सीठे रेलवे स्टेशन पंहुचा और पहुचते ही हैदराबाद के लिए टिकेट लिया, किसी तरह TC से बात करके AC में confirm ticket लिया क्युकी मुझे बहुत जोरो कि नींद आ रही थी और मै चैन से सोना चाह रहा था,
तो ये थी मेरी कहानी जशपुर से हैदराबाद तक कई, मुझे याद रहेगी ये यात्रा |

4 comments:

  1. Dear Sharad,
    Very well written but what is more essential is that you will never forget the lessons.
    @Pramod__Pathak

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  2. Nicely written. A problem filled journey though. @iTannu

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