यादों के झरोखों से
बचपन का सावन वो खेतों की हरियाली कितना कुछ कहती थी ! , कितना हम हस्ते थे खेलते थे गाव की मिटटी की खुसबू आज भी महकती है, ऐसा कुछ था मेरा बचपन | वो माँ का लोरी गा के सुनाना और ढूध पिने के लिए नाना प्रकार के नखरे करना और फिर परियों की कहानियों में परियों के सपने देखना और कही दूर देश में खो जाना और माँ की गोद में सर रख के सो जाना!! | सुबह उठ के स्कुल ना जाने की जिद करना और पेट में दर्द होने का बहाना करना और पापा का डांटना और माँ का मेरे लिए मेरा बचाव करना "जाने दीजिये ना बच्चा है" और मै माँ की अंचल में छिप जाता था !! और पापा का कहना की तुमने ही बिगाड़ के रखा है | फिर स्कुल जाना और होमवर्क ना करना और
मार खा के घर आना और माँ की गोद में रोना | आज भी याद है वो माँ का अंचल और माँ का मेरा आसू पोछना और वो जादू की झप्पी देना!! मै कितना भी बड़ा हो जाऊ लकिन मै माँ के लिए आज भी वही शरद हूँ | वही माँ का डांटना और माँ का प्यार करना, माँ की डाटो में भी एक अजीब सा प्यार था पहले डाटना फिर मानाने के लिए मनपसंद खाना बनाना कितना कुछ करती हैं मेरे लिए मेरी माँ | कभी मेरे कालेज से देर आने पर मेरा इंतजार करना और फिर मेरे लिए खाना गरम करना | मेरे बगैर वो कभी खाना नहीं खाती , कितनी अजीब होती है ना ये माँ हम क्या करते हैं कुछ भी तो नहीं | माँ ही मेरी सबसे अच्छी दोस्त है मै उससे सब कुछ बताता हूँ!! इस दुनिया में माँ ना होती तो क्या होता हम किसकी अंचल में छुप के रोते और किसकी गोद में सोते !!!
आज भी मुझे माँ के हाँथ का पराठा और टमाटर की चटनी याद आती है !!
आज भी घर जाता हूँ तो बस माँ के हाँथ का खाना, और वो जादू की झप्पी ! माँ की गोद में सोने से कितना सुकून मिलता है !!! सरे दुःख दर्द भूल जाता हूँ !
फिर से नये जिन्दगी में नये स्फूर्ति आ जाती है वो ऑफिस का टेंसन कहा चला जाता है मालूम ही नहीं चलता |
मै कितना भी बड़ा हो जाऊ माँ के लिए आज भी वही शरद हूँ |
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bahut sundar likha hai ....mujhe meri maa yaad aa rahi hai ...har maa ke liye uske bachhe hamesha pyare hote hai chahe vo kitne hi bade kyu n ho jaye ....yahi to khasiyat hai maa ki ...mai bhi maa hu to jaanti hu ki ye ehsaas kya hai ...
ReplyDeleteaapki maa ko pranam hamari taraf se ...unka aashirvaad bana rahe aapke saath yahi dua hai ...
Shruti...
very nice sharad...
ReplyDeleteCute and very sentimental.. Nice.
ReplyDeleteBahut khoob.... aankhon mein aansoon aa gaye....beautifully said Sharad.... Maa ki goud mein siir rakh kar sona...kaash woh zamana phir aa jaye...
ReplyDeletenostalgic.....beautiful :)
ReplyDeleteBeautifully displayed innocent emotions. Love the way you write:)
ReplyDeleteVery well written....... Ah u r lil sensitive man...... its good as there is dearth of deficiency of this quality in guys....! Thanks for sharing ur thoughts.
ReplyDeleteAwesome write up Sharad. Mother is someone who is thr with us always.. no matter how we are with her or not!
ReplyDeleteThank you all for your valuable comments, appreciate me, Thank you very much :=)
ReplyDeletevery well written sharad...just loved reading!! too good, super awesome...ur mother is blessed to have u & U to have her God Bless U both :)
ReplyDeletevery nice sharad..... bhagwan hamare sath har waqt nhi ho sakte the , isliye unhone apne ko ma ke roop mein hamein ye bardan diya.....
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